हर शख्स खुद को समझता हैं निजाम ए दुनिया,
जिस तरफ चाहे "शैदाई" वो उंगुली उठा देता हैं
वो चलें हैं अंग्रेजी में बदलने किस्मत उनकी
जिनको इल्म ही नहीं कि "क" से कबूतर होता हैं
चिराग बनेगा तो तेरे हिस्से में अँधेरा आएगा
वर्ना पतंगा भी घर जला बस्ती जगमगा देता हैं
आइना देखने का शौक भी अब वो नहीं रखते
कमबख्त क्या हैं कि हैसियत जो दिखा देता हैं!
जिस तरफ चाहे "शैदाई" वो उंगुली उठा देता हैं
वो चलें हैं अंग्रेजी में बदलने किस्मत उनकी
जिनको इल्म ही नहीं कि "क" से कबूतर होता हैं
चिराग बनेगा तो तेरे हिस्से में अँधेरा आएगा
वर्ना पतंगा भी घर जला बस्ती जगमगा देता हैं
आइना देखने का शौक भी अब वो नहीं रखते
कमबख्त क्या हैं कि हैसियत जो दिखा देता हैं!
... bahut badhiyaa !!!
ReplyDeleteसिर्फ एक शब्द... वाह...
ReplyDeleteकबूतर कमबख्त नहीं होता
ReplyDeleteबैठता कभी नहीं तख्त पर
आप सभी का तहेदिल से धन्यवाद् !
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