नेकियों का मजमा लगे जब, ये बेगैरती का वो दौर है !
बेबस यहाँ हर आदमी हैं और तरक्कियों का शोर हैं !
गर बदहवास न होता तो यूँ कर भी जफा न मिलती,
क़त्ल कर के बोला वो, कातिल मैं नहीं कोई और हैं !
कैसे भला महफूज़ रहती जो भी थी तेरी वो अमानते,
जिसे सौंपा हिफाजत का जिम्मा, वही तो बस चोर हैं !
वो जन्नत से उतरा हैं, न "शैदाई"जहन्नुम से आया हैं,
तेरे सामने ही वो, जिसके हाथ में किस्मत की डोर हैं !
बेबस यहाँ हर आदमी हैं और तरक्कियों का शोर हैं !
गर बदहवास न होता तो यूँ कर भी जफा न मिलती,
क़त्ल कर के बोला वो, कातिल मैं नहीं कोई और हैं !
कैसे भला महफूज़ रहती जो भी थी तेरी वो अमानते,
जिसे सौंपा हिफाजत का जिम्मा, वही तो बस चोर हैं !
वो जन्नत से उतरा हैं, न "शैदाई"जहन्नुम से आया हैं,
तेरे सामने ही वो, जिसके हाथ में किस्मत की डोर हैं !
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