आइना इतना भी "शैदाई" मगरूर कहाँ होता हैं !
सच इतनी आसानी से यारो मंजूर कहाँ होता हैं !
जलवा तेरा बिखरा, जिक्र चिराग का भी आया !
जलकर फनाह जो धागा हुआ, मशहूर कहाँ होता हैं !
Monday, 29 November 2010
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Some Creative Words
आपका ब्लॉग पसंद आया....इस उम्मीद में की आगे भी ऐसे ही रचनाये पड़ने को मिलेंगी
ReplyDeleteकभी फुर्सत मिले तो नाचीज़ की दहलीज़ पर भी आयें-
http://vangaydinesh.blogspot.com/
http://dineshsgccpl.blogspot.com/
आपका ब्लॉग पसंद आया....इस उम्मीद में की आगे भी ऐसे ही रचनाये पड़ने को मिलेंगी
ReplyDeleteकभी फुर्सत मिले तो नाचीज़ की दहलीज़ पर भी आयें-
http://vangaydinesh.blogspot.com/
http://dineshsgccpl.blogspot.com/
इसी ब्लॉग पर
ReplyDeleteइस मशहूरी का
नहीं है कोई मुकाबला।