खबरे तो बहुत हैं मगर उनकी कोई खबर ही नहीं !
गरीब की आहो में शायद "शैदाई" वो असर ही नहीं !
एक शख्स ने अपने जख्मो को खुला छोड़ रखा है,
मगर वो कैसे देखेगा, जिसके पास, नज़र ही नहीं !
माना तेरे दर्द में वो टीस हैं कि पत्थर भी पिघल जाए,
ये और बात है कि तेरे पास कहने का हुनर ही नहीं !
उस संगदिल की संगपरस्ती भी साफ़ ब्यान होती है,
बगीचे भी बनाये ऐसे, जिनमें दूर तक शज़र ही नहीं !
वो बस एक ख्याल हैं, ये सदा दिल से आई तो होगी,
मगर सच जुबान पर लाने का, उनमें जिगर ही नहीं !
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