अब मुझसे बात न करना
मैं तुमसे बात न करुँगी
जब मैं तुम्हारा था
तुमको प्यारा था
तुम्हारे स्नेह को अर्पित
तुम्हरे प्रेम में समर्पित था
यही तो वो नारा था
जिसे बार बार दोहरा ,
तुम मुझे मजबूर करती
चंद लम्हों के लिए
खुद को खुद से दूर करती
जब मैं तुम्हारा था
तुमको बहुत प्यारा था
खुद को रुलाता
तुमको मनाता
समय का मोल बताता
तुमको समझाता कि
रोक लो इस समय को
अपने स्नेह से मुझको नहलाओ
रूठने और मानाने में
न अमूल्य निधि गवाओं
जब मैं तुम्हारा था
तुमको बहुत प्यारा था
हाँ तुम मेरी बात मान लेती
मुझपर अपनी जान देती
पर कब ये ठान लेती
कि अब मुझसे बात न करना
मैं तुमसे बात न करुँगी
.......क्या अब तुम मुझसे कभी बात कर सकोगी ...........
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