दिल से निकल कर अरमान मेरे सीधे कब्र गए
तेरी अंजुमन से उठ कर तेरे दीवाने बेसब्र गएँ
नेकिया जाने कहाँ गयी गैरते कहाँ बची बाकि
जाने कहाँ वो आदमी जांत होने के फक्र गए
इश्क में अब वो आतिश नहीं जो जले शम्मे
बेकार हर वार उनका नज़रो के तीर बेअसर गए
फिर बनने से पहले उजाड़ गया आशिया मेरा
करके इकरार, इजहार मेरे महबूब जो मुकर गएँ
हर सूरत में अब जिनकी सीरत नज़र आती हैं
वो हसीं यार देखिये मुझे छोड़ कर किधर गए
ये हुश्न वाले "शैदाई" बिलकुल हवाओं की मानिंद
होकर दिल से मेरे हाय हाय हाय कब गुजर गएँ
Wednesday, 14 July 2010
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फिर बनने से पहले उजाड़ गया आशिया मेरा
ReplyDeleteकरके इकरार, इजहार मेरे महबूब जो मुकर गएँ शेर अच्छा लगा बहुत बहुत बधाई
wah-wah kya baat hai vikas ji, mazaa aa gaya
ReplyDeleteफिर बनने से पहले उजाड़ गया आशिया मेरा
ReplyDeleteकरके इकरार, इजहार मेरे महबूब जो मुकर गएँ
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bahut khoob. kabhi na kabhi aapse mulakat hogi.