Monday 20 August, 2012

गर खुद मैं न होता तो "शैदाई"खुदा नहीं होता !

एक पल भी वो अहसास मुझसे जुदा नहीं होता !
गर खुद मैं न होता तो "शैदाई"खुदा नहीं होता !
शुक्र उसका अता करने वाले की लम्बी कतारे,
और क़र्ज़ आदमी का आदमी से अदा नहीं होता !
कभी हुआ करते थे फकीर, हुए अब कितनेअमीर,
उसके नाम पर हो जो धंधा, कभी मंदा नहीं होता!
खुद ही सवाल करता और ये खुद ही जवाब देता,
इस जहन से आगे "यारो"कोई जहान नहीं होता !

2 comments:

  1. Bahut dinon baad aapne likha hai,aur bahut khoob likha hai!

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  2. Shukriya......Aap Facebook par nahi hai Shayad ?

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