छोड़ दो ये हरकते वो बोली,
बासी फूलों को यूँ भी ताकता नहीं कोई....
तुम्हारी इन्ही हरक़तो से अब हमारे घर में झांकता नहीं कोई...
वो बोला, तुम करो आराम, हमे करने दो काम ,
भले ही बीवी हो शैदाई घर में हूर जैसी
फिर भी पड़ोशन को कम आंकता नहीं कोई
Monday 13 September, 2010
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