Wednesday 14 July, 2010

तेरी अंजुमन से उठ कर तेरे दीवाने बेसब्र गएँ

दिल से निकल कर अरमान मेरे सीधे कब्र गए
तेरी अंजुमन से उठ कर तेरे दीवाने बेसब्र गएँ
नेकिया जाने कहाँ गयी गैरते  कहाँ बची बाकि
जाने कहाँ वो आदमी जांत होने के फक्र गए
इश्क में अब वो आतिश नहीं जो जले शम्मे
बेकार हर वार उनका नज़रो के तीर बेअसर गए
फिर बनने से पहले उजाड़ गया आशिया मेरा
करके इकरार, इजहार मेरे महबूब जो मुकर गएँ
हर सूरत में अब जिनकी सीरत नज़र आती हैं
वो हसीं यार देखिये मुझे छोड़ कर किधर गए
ये हुश्न वाले "शैदाई" बिलकुल हवाओं की मानिंद
होकर दिल से मेरे हाय हाय हाय कब गुजर गएँ

3 comments:

  1. फिर बनने से पहले उजाड़ गया आशिया मेरा
    करके इकरार, इजहार मेरे महबूब जो मुकर गएँ शेर अच्छा लगा बहुत बहुत बधाई

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  2. wah-wah kya baat hai vikas ji, mazaa aa gaya

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  3. फिर बनने से पहले उजाड़ गया आशिया मेरा

    करके इकरार, इजहार मेरे महबूब जो मुकर गएँ
    ===
    bahut khoob. kabhi na kabhi aapse mulakat hogi.

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