Monday 3 May, 2010

कौन सा खुदा है वो , जिसका मैं नाम लूँ ,

और समय के रथ का पहिया थाम लूँ.

हैं कोई क्या ?????

निसंदेह मेरे जीवन का एक वर्ष और गवा चूका हूँ मैं .   मानव जीवन का संघर्ष उसी समय से शुरू हो जाता हैं जब वह करोडो भाइयो और बहनों के साथ द्वन्द कर अपनी माँ के गर्भ में अपना स्थान सुनिश्चित करता है सो जीवन अमूल्य है और ये हम पर निर्भर है कि हम जीवन का उपयोग और प्रयोग करते हैं या मात्र उपभोग करते है . कुछ लोग़ अपना बचपन जीवन की पह्लियो को सुलझाने में गवां देते है , ऐसे ही लोगो में से एक मैं हूँ मतलब जो कल करे सो आज कर और जब कल मरना ही है तो क्यों ये जीवन, अभी मर ??  ऐसी दुविधाओ से बाहर आने के लिए मैंने जीवन में ध्येय निर्धारित करने शुरू किये और एक एक सीढ़ी चढ़ता रहा और विश्वास  करिए कि व्यक्तिव भी साथ साथ निखरता रहा . कुछ लोग़ जब बुड्ढ़े हो जाते है तब उन्हें धर्म कर्म और समाज याद आता है . मुझे 29 वर्ष में ही अहसास हो गया कि निजी जीवन में मैं जो पा चूका हूँ वो इस देश की 70 प्रतिशत आबादी के पास नहीं हैं . निसंदेह मैं भाग्यशाली हूँ और इस देश में रहने वाला हर व्यक्ति भाग्यशाली है जिसके भाग्य पर चंद लोग़ ताला लगा कर बैठे हुए है . मैं इस देश के करोडो लोगो की तरह परिवर्तन चाहता हूँ . हाँ ये असंतुष्टि है जो कभी कभी हमे आतंकवादी , अलगावादी और नक्सलवादी बना देती हैं. मैं आज अपने जन्मदिवस को भी संतोष नहीं रख रहा हूँ क्योकि संतोष परिवर्तन की इच्क्षा को ख़त्म करता है . मैं नहीं मानता कि बिना मानव भी कोई राष्ट्र बनता है राष्ट्र वही जिसमे मानव हैं वर्ना जंगल हैं. और मानव का विकास ही राष्ट्र का विकास है . भूखे और गरीब लोगो को राष्ट्रवाद की शिक्षा देकर संतुस्ट करना और अपनी जेब भरना देश का नेतृत्व करने वालो की आदत हो गयी है . कौन पाक और साफ़ है ? खैर सामाजिक राजनैतिक और आर्थिक परिवर्तन एकदिन में संभव नहीं और सामूहिक कल्याण की सामूहिक लड़ाई को सामूहिक नेतृत्व के साथ लड़ रहे मेरे समस्त भाइयो और बहनों जिन्होंने आज मुझे अपनी शुभकामनायो के साथ असीम उर्जा भेजी है, को धन्यवाद् इस सन्देश के साथ कि बिना सामूहिक जाग्रति और सामाजिक एकता के , परिवर्तन की दिशा में होने वाले प्रयास निरर्थक सिद्द होंगे अत: संघे शरणम् गच्छामि, एकता ही शक्ति हैं .

2 comments:

  1. Sabse pahle to janmdin ki badhai, aapne apne jivan me ek aur varsh ka anubhav aur aakanchhaye jod li....

    Sahi kaha aapne bhagyashali to sabhi hai lekin us bhagy par chand logo ka tala laga hua hai

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  2. मतलब जो कल करे सो आज कर और जब कल मरना ही है तो क्यों ये जीवन, अभी मर ??

    lagta to aise hi hai ki ,jyadatar log mar hi chuke h
    jinka zamiir mar gaya ..unmein jeevan kaise ho sakta hai


    blog fo;;ow kiya aapne ye khushkismatii hai meri
    aapse poorn sahmat hun

    maine BABA RAMDEV ji ke vichar sune hai ..parivartan ki pahal jo unhone ki hai shayad rang laye

    ek accha sarthak lekh

    yun hi roshanii failate rahe

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