मेरी सदाओं से "शैदाई" उनकी भी सदा मिलना
सफ़र-ए जिंदगी में साथ चलने की अदा मिलना
गाली खा कर भी माँ बाप तो हमें रोज दुआ देते हैं
पर अजीम हैं जिंदगी में अजनबी से दुआ मिलना
खुद को फनाह करने में जो एक पल नहीं गवातां
मुश्किल हैं अब, उस बिरले से ऐतबार सा मिलना
तुम तो अपने गमो की दुहाई देते नहीं थकते
यूहीं गुम हुआ हैं खुशिया बाँटने का हौसला मिलना
अगर चंद लम्हें ख़ुशी के हम किसी को दे न सकें
बेबात की दोस्ती मेरे यारों बेकार का मिलना
Monday 13 September, 2010
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